Yug Purush

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8TH SEMESTER ! भाग -4

Chapter-2: The Revival

"फेंक रहा होगा वरुण..."यही सोचते-सोचते मैं रूम पर आया
,

मैने वरुण को आवाज़ दी लेकिन उसने कोई रेस्पॉन्स नही दिया और फिर जब बाथरूम के अंदर से पानी  के चलने की आवाज़ आई तो मैं समझ गया कि वरुण अंदर है, मैने टाइम देखा 9:30 बज रहे थे, अब इतना टाइम नही था कि मैं आज काम करने जाता, और वैसे भी आज मेरा मूड नही था....मैने रूम की खिड़की खोली और खिड़की से बाहर देखने लगा....तभी मुझे एक आवाज़ सुनाई दी जिसने मुझे अंदर से झकझोर के रख दिया....ऐसा लगा कि दिल की धड़कने रुक गयी हो और मेरा दिल अंदर से खुद कर सीधे मेरे हाथ मे आ जायेगा...


"क्या बात है बे, बहुत दिनो से हवेली मे नही आया..."


यदि मेरी जगह उस वक़्त कोई और होता तो शायद नज़र अंदाज़ कर देता इस आवाज़ को ,लेकिन मेरे लिए ये शब्द ,ये लाइन बहुत मायने रखती थी....मैं पीछे मुड़े बिना ही जान गया था कि मेरे पीछे कौन है , लेकिन इतने महीनो बाद वो कैसे यहाँ आया....


अभी मैं सोच ही रहा था कि मेरे सर पर एक जोरदार मुक्का पड़ा, मारने वाले ने इतनी ज़ोर से मारा था जैसे कि जनम जनम का बदला ले रहा हो.....वो कोई और नही बल्कि मेरा खास नही... बल्कि..मेरा सबसे खास दोस्त अरुण था, और मैं भी उसका सबसे खास दोस्त था.....


"अब साले लौंडीयों की तरह उधर ही देखते रहेगा या फिर गले भी मिलेगा...."उसकी आवाज़ मे मुझे अपने लिए वही अपनापन महसूस हुआ ,जो कॉलेज के दिनो मे हुआ करता था, मैं एक झटके मे पीछे मुड़ा और अरुण को कस कर पकड़ कर गले लगा लिया.....मैं और अरुण एक दूसरे के लिए इतने खास थे कि यदि हम दोनो gay ~ समलैंगिक होते(जो कि नही थे) तो आज एक दूसरे से शादी कर लिए होते......



अपने गुस्से और मुझसे नाराज़गी का एक और उदाहरण देते हुए उसने मुझे कसकर एक लात मारी और बोला


"साले,  मरवा रहा था तू यहाँ, तेरा नंबर चेंज हो गया, घर से बिना बताए गायब है और यहाँ तक कि...यहाँ तक कि..."मुझ पर एक लात का प्यार और करते हुए बोला"यहाँ तक कि तूने मुझे भी नही बताया, कहाँ गयी तेरी वो बड़ी बड़ी बाते..."


हमारी दुनिया मे एक कहावत बहुत मशहूर है कि यदि डूबते को तिनके का सहारा मिले तो भी बहुत होता है ,लेकिन मुझे तो आज पूरा का पूरा एक जहाज़ मिल गया था अरुण के रूप मे.....


"साला , खुद को इंजीनियर  बोलता है, तूने सब बकचोद  इंजिनीयर्स का नाम बाथरूम मे मिला दिया...."वो अब भी मुझ पर बहुत गुस्सा था....


"छोड़ बीती बातों को और बता यहाँ कैसे आया और वरुण कहाँ है, कहीं तूने उसका मर्डर तो नही कर दिया..."


"बिल्कुल ,सही समझा बे, उसकी  बॉडी बाथरूम मे पड़ी है, प्लीज़ पुलिस  को इनफॉर्म करना...."


कुछ देर तक हम दोनो ने एक दूसरे को देखा और फिर ज़ोर से हंस पड़े....


"अब चल बता, तू यहाँ क्यूँ है..."अपनी हँसी रोक कर अरुण बोला, वो अब सीरीयस था....


"सब कुछ छोड़ छाड़ के आ गया मैं, घरवाले देश के बाहर है, ना तो उन्हे कोई फरक पड़ता है और ना ही मुझे..."


"तेरे भाई की शादी होने वाली थी , उस वक़्त जब तू घर छोड़ कर यहाँ आ गया था..."


"साला मेरी ग़लतियो की लिस्ट पकड़ के बैठ गए  है...अब जान निकाल कर ही दम लेगा"मै अंदर ही अंदर बहुत ज़ोर से चिल्लाया...


"वो सब तो छोड़"अरुण का चेहरा फिर लाल होने लगा," मुझे ये बता कि तूने मुझे कॉल क्यूँ नही किया, कॉलेज मे तो मेरा बेस्ट फ्रेंड बना फिरता था...."


अरुण के इस सवाल का मेरे पास कोई जवाब नही था और यदि मैं उससे कुछ कहता भी तो क्या ये कहता कि "मुझमे अब जीने की चाह नही है..."या फिर ये कहता कि"इशा के जाने के बाद जैसे मेरे दिल ने धड़कना बंद कर दिया है..."


"कुछ बोलेगा..."वो मुझपर फिर चिल्लाया....


"रीज़न चाहिए तुझे, तो सुन....जब मैं अपनी बी.टेक की खाली डिग्री लेकर घर गया तो जानता है मेरे साथ क्या सलूक हुआ...घर पर बड़े भाई की शादी की बात चल रही थी इसलिए घर मे बहुत लोग आते जाते रहते थे, और जब कोई मेरे बारे मे पूछता तो सब यही कहते कि....हमारे खानदान मे सबसे खराब मैं हूँ, मैं ही एक अकेला शक्स हूँ, जिसने अपने खानदान का नाम डूबा दिया...ऐसा इसलिए हुआ क्यूंकी मेरे पास पैसा नही था, मेरे पास नौकरी नही थी.....यदि मुझसे कही भी थोड़ी सी भी ग़लती हो जाती तो मेरी उस ग़लती को मेरी एजुकेशन से जोड़ दिया जाता....मैं अपने ही घर मे रहकर पागल हुआ जा रहा था, और फिर जिस दिन लड़की वाले हमारे घर आए तो भाई ने एक छोटी सी बात पे सबके सामने मुझपर हाथ चला दिया....बस उसी समय मेरे दिल और दिमाग़ दोनो ने गला फाड़ -फाड़ के कहा कि बस बहुत हो गया, और मुझे सबसे बुरा तब लगा जब मुझे किसी ने नही रोका...सब यही चाहते थे कि मैं उनकी ज़िंदगी से चला जाउ, सो मैने वही किया...."इतना बोलते बोलते हुए मै रुका...,


अरुण को अपनी बीती ज़िंदगी के कुछ पल बताकर मैने अपने ज़ख़्म फिर हरे कर लिए थे....वरुण भी तब तक आ चुका था और दरवाज़े पर चुप चाप खड़ा मेरी बाते सुन रहा था......


कुछ देर तक हम तीनो मे से कोई कुछ नही बोला, और फिर अरुण ने अपना बैग अपनी तरफ खीच कर खोला और vat 69  की एक बोतल निकाल कर बोला...


"ये ले तेरा गिफ्ट..."


मेरी नम आँखो मे एक हँसी झलक आई "तू साले अभी तक भुला नही..."


ये हम दोनो की एक खास आदत थी कि हम दोनो ने एक दूसरे को गिफ्ट के तौर पर हमेशा दारू ही गिफ्ट की थी...और सबसे बड़ी बात ये कि अरुण ने ही मुझे दारू पीने की लत भी लगाई थी......


" i love daru more than girls" बोलते हुए मैने उसके हाथ से बोतल छीनी और वरुण की तरफ देख कर बोला"आज रात का जुगाड़ हो गया बे..."


मेरे ऐसा कहने पर वरुण के साथ - साथ अरुण भी हंस पड़ा...
वरुण और अरुण ही मेरे प्रेज़ेंट लाइफ मे मेरे अपने थे, अरुण के पापा इंस्पेक्टर थे और अरुण रेलवे मे किसी अच्छी पोस्ट पर था...


"शादी हो गयी तेरी...?"VAT69  को एक किनारे रखकर मैने अरुण से पुछा....


"कहाँ शादी , अभी तो लाइफ एंजाय करनी बाकी है...शादी करते रहेंगे आराम से...."


"वरुण, ले पेग तो बना, सर दर्द कर रहा है...."बोतल मैने  वरुण को पकड़ाई


"अरमान, ये निशा कौन है बे "


"है , मोहल्ले मे रहने वाली एक लड़की..."मैं बोला....


"मैने सोचा नही था कि उसके जाने के  बाद तू किसी लड़की के साथ रीलेशन बनाएगा..."अरुण जानता था कि मुझे उसका नाम लेना अब पसंद नही है, इसलिए उसने उसका नाम नही लिया....


"सोचा तो मैने भी नही था, लेकिन मालूम नही ये कैसे हो गया...."


"ले पकड़..."इसी बीच वरुण ने हम तीनो का पेग तैयार कर दिया , जिसे चढाकर वरुण बोला"यार अरुण, मैने इससे कितनी बार इसकी बीती ज़िंदगी के बारे मे पुछने की कोशिश की, लेकिन इसने मुझे एक बार भी नही बताया और हर बार किसी ना किसी बहाने से टाल दिया...."


"दिमाग़ मत खा यार तू अब, एक और पेग बना...मस्त दारू है.."मैने एक बार फिर वरुण की बात को टालने की कोशिश की....लेकिन शायद आज मैं कामयाब नही रहूँगा इसका मुझे अंदाज़ा हो गया था.....


"आज तो खुलासा होकर ही रहेगा वरुण..."अपना पेग गले से नीचे उतार कर अरुण बोला"चिंता मत कर ,आज ये सब कुछ बकेगा...."


"मैं कुछ नही बताने वाला..."


"नही बताएगा..."


"बिल्कुल भी नही..."


"एक बार और सोच ले..."


"मैने बोल दिया ना एक बार..."


"फिर वो बाथरूम वाली बात मैं वरुण को बता दूँगा, सोच ले..."


अरुण ने मेरी दुखती नस को पकड़ लिया था, दो-तीन पेग मारने से दिमाग़ भी एकदम फ्री हो गया था, एक दम बिंदास......


VAT69 की बोतल खाली हो चुकी थी और मैं भी अब बिल्कुल तैयार था वरुण को वो सब बताने के लिए ,जो मैं नही बताना चाहता था....


"एक और पेग बना...."मैने कहा


To Be Continued....




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6 Comments

shweta soni

21-Jul-2022 01:42 PM

Bahot khub 👌

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Chirag chirag

02-Dec-2021 06:04 PM

Nice story

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Pallavi

02-Dec-2021 12:28 AM

Very nice sr

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